ये जाने क्या यार हुआ

प्यार हुआ इकरार हुआ फिर धीरे से इज़हार हुआ

उसने ना किया न हाँ , बस मुड के वो चली गयी

ये जाने क्या यार हुआ

बचपन में सुनी थी एक poem  Try  again Try  again

और दोस्तों की वो सीख, रोना छोड़ Be the man

आखिर प्यार हुआ था यारों कोई छोटी सी बात नही

जोश भर लिया फिर से मन में मानी हम ने हार नहीं

 

Try  किया हम ने फिर से, मांग कर खुदा से दुआ

उसने ना किया न हाँ , ये जाने क्या यार हुआ

फिर किसी ने हमे बताया कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

हम तों boat में motar  लगा कर बैठे है हमारी कश्ती क्यों पार नहीं होती

चलो फिर से तूफ़ान में उतरेंगे कमर कस ली है अब ना डरेंगे

फिर से खेला हम ने जिंदगी का जुआ

उसने ना किया न हाँ , ये जाने क्या यार हुआ

फिर एक कहावत सामने आई कि सब्र का मीठा होता है फल

कल से सीख आज को enjoy कर फिर देख सुधरेगा कल

फिर दिल में उम्मीद की किरण जगाई

खुदा को छोड़, प्यार की कसम खाई

अब एक तरफ खाई है एक तरफ है कुआ

उसने ना किया न हाँ , ये जाने क्या यार हुआ

अब सच बात जब पता चली तब हम ने ये जाना है

 mobile ,music  और headphone का ये जमाना है

जब जब हम ने इज़हार किया वो music में मशगूल थी

हमने खुद ही कहा और खुद ही सुना बस यही हमारी भूल थी

 

कौन कहता है mobile से chitchat आसान हुआ

उसने ना किया न हाँ , ये जाने क्या यार हुआ

प्रणय

One response to “ये जाने क्या यार हुआ”

  1. वाह सर मज़ा आ गया …….सच में ………………bit like a refreshmnet……

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