यूँ बीच में अचानक ये प्यार कहाँ से आया

दोस्त ही तो थे इतने अरसे से हम तुम

रहते थे अपनी इस दुनिया में ही गुम

कभी नादान सी बातों में दिन थे गुज़रते

कभी छोटी सी बात पर में लड़ते झगड़ते

इन रिश्तों के मायने कभी सोचे नहीं थे

कुछ लब्ज़ अनसुने जो बोले नहीं थे

वो बातों की मस्ती कुछ महंगी कुछ सस्ती

वो बचकानी शरारत वो डरती हुई हिम्मत

जब आँखें थी मिलती वो बात कुछ अलग थी

जब पलकें थी झपकती वो शर्त की वजह थी

दिल से कहता था दोस्त है वो मेरी

उसने भी मुझे बस दोस्त ही कहा था

फिर दिल से ही पूछा क्या वाकई ये सच है

दिल भी क्या कहता, अब वो मेरा कहाँ था

ये रिश्ते जब बदले कुछ आहट तों हुई थी

उन सरसराहटो को कोई समझ ही न पाया

एक लड़का एक लड़की और दोस्ती ही थी फिर

यूँ बीच में अचानक ये प्यार कहाँ से आया

8 responses to “यूँ बीच में अचानक ये प्यार कहाँ से आया”

  1. lovely poem pranay.. very poignant

  2. यशवन्त माथुर Avatar
    यशवन्त माथुर


    कल 08/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    1. धन्यवाद यशवंत जी !

  3. ye beech mein pyar kahana se aaya .. well penned ..

  4. बहुत सुन्दर रचना

  5. pyar behad satir hota hai aur bagair batlaye chupke kb pravist kar jata hai,samjh pana muskil hai,

  6. इतने प्यारे कमेंट्स के लिए बहुत धन्यवाद !

  7. NIce one pranay!!!, well tell me about it how it feels when your feeling changes … ;)

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