कहीं कोई तमन्ना है !

कहीं कोई तमन्ना है न जाने कौन सी है वो
शायद है कोई पत्थर या केवल मोम सी है वो
वो लम्हा है या है पल, या इंतज़ार सदियों का
कुछ तो है शोर फिर भी मौन सी है वो

मेरे कहने पर वो थोड़ा मचल सी जाती है
उकसा दो जो सुनने को तो बस गुनगुनाती है
ज़मी पर भटकती है फिर भी व्योम सी है वो
कहीं कोई तमन्ना है न जाने कौन सी है वो

कभी वो खुल के बिखरेगी जैसे पराग फूलों का
दिल को छुएगी तोड़ कर बंधन उसूलों का
कोई हलचल उठा दे जैसे रोम-रोम सी है वो
कहीं कोई तमन्ना है न जाने कौन सी है वो

वो उड़ने को तडपती है, वो महुए सी महकती है
वो सागर की भी मस्ती है, जो लहरों सी छलकती है
मेरी मंजिल, मेरा प्यार, मेरी कौम सी है वो
कहीं कोई तमन्ना है न जाने कौन सी है वो

प्रणय

13 responses to “कहीं कोई तमन्ना है !”

  1. :) :) :) :) :) :):) :) :):) :) :):) :) :):) :) :)

  2. thank you very much !!!!

  3. kya baat hai! bahut khoobsoorat kavita hai.

    1. thanks a lot sharmishtha ji swagat hai aapka..!!!!!

    1. thanks alka ji !! most welcome to blog !!

  4. शायद है कोई पत्थर या केवल मोम सी है वो
    वो लम्हा है या है पल, या इंतज़ार सदियों का
    ,,
    दिल को छुएगी तोड़ कर बंधन उसूलों का

    वो महुए सी महकती है
    वो सागर की भी मस्ती है, जो लहरों सी छलकती है

    यूँ तो पूरी रचना ही सुंदर है… लेकिन ये कुछ पंक्तियाँ तो बस … अद्भुत हैं… इस रचना में भावोँ के साथ साथ शब्दों का प्रवाह भी बहुत अच्छा है… एक तरन्नुम है जो रचना को और भी सुंदर बना देती है.. ..
    manju

    1. बहुत बहुत धन्यवाद मंजू जी आपके कमेंट्स हमेशा उत्साहवर्धन करते हैं !!!

  5. कुछ अनछुए अहसासों को शब्दांकित करती सुन्दर रचना |
    इस सृजनात्मकता को जीवंत बनाये रखें इसी शुभेक्षा के संग …….

    1. धन्यवाद दिव्यांश जी !!

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