मौसम का असर है !

आसमान पर नज़र है, दिल आज बेखबर है !
नशे में ये शहर है या मौसम का असर है !

ये रंगीन तबियत, कुछ डोली सी नियत
और मस्त ये सफ़र है !

ये मस्ती में पंछी, ये लहराता माझी
ये झूमता शज़र है !

ये बादल की दस्तक, हवाओं की हिम्मत
मदहोश हर लहर है !

ये औंस की बूंदें, हर कली आँखें मूंदें
कि भंवरा किधर है !

लहराती लौ है, महकाती जौ है
वो मीठी मटर है !

वो दादी वो नानी वो लम्बी कहानी
अभी रात अभी सहर है !

वो प्यारी सी थपकी, वो छोटी सी झपकी
माँ की गोदी का घर है !

शायद ! मौसम का असर है !

प्रणय

10 responses to “मौसम का असर है !”

  1. वो प्यारी सी थपकी, वो छोटी सी झपकी
    माँ की गोदी का घर है !
    शायद ! मौसम का असर है !

    bahut hi sunder bhav bhari rachna…………

  2. आपकी रचना पढ़ते पढ़ते कुछ ख्यालात आये ……

    डूबा है वो किस कदर दरियाए इश्क में
    आस पास की लहरों को भी ये खबर है
    कातिल था कोई और क़त्ल और का हुआ
    इलज़ाम मगर किसी और के सर है
    बिन मौसम बरसात पपीहा बेखबर है
    क्या ये मौसम का असर है !!!!!!!

    1. शानदार ख़याल दिव्यांश जी !!
      इतने रचनात्मक कमेंट्स के लिए बहुत धन्यवाद !!

  3. nice one :)… mausam ka asar h..

    1. धन्यवाद !!

  4. Wah yar pranay tu to bhut high level ki kavita likhne lga……

  5. Ati sundar…lagta hai ye mausam ka asar hai

    1. welcome to blog!!!!!!!!!!

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