मैं कुछ हूँ !

सब कुछ है इन हाथों में ,फिर भी चाहता कुछ हूँ
कभी लगता है कुछ नहीं मै ,कभी लगता है मै कुछ हूँ

नहीं मै जानता जीना ,नहीं मै जान सकता हूँ
फिर भी हाल कुछ हो होंठो पर मुस्कान रखता हूँ
बहुत सारे में थोडा हूँ , थोड़े में बहुत कुछ हूँ
कभी लगता है कुछ नहीं मै ,कभी लगता है मै कुछ हूँ

उम्मीदें ,तमन्ना सब मेरी जेबों में ठुंसी है
हलचल हो रही है जो ये उनकी कानाफूसी है
हाथो को फैला के चाहता कहना कि मै कुछ हूँ
कभी लगता है कुछ नहीं मै ,कभी लगता है मै कुछ हूँ

ये राहें भीड़ से भरी लेकिन खामोश फिर भी है
मदहोशी के आलम में थोडा होंश फिर भी है
आगे हो न हो ये बयां मेरा नाम कि कुछ हूँ
कभी लगता है कुछ नहीं मै ,कभी लगता है मै कुछ हूँ

कभी मै आसमान पर छोटी सी एक आस रखता हूँ
न जाने कौन सी दिल में हर दम प्यास रखता हूँ
कब मै रुक के दो पल चैन से कहूँगा कि हाँ कुछ हूँ
कभी लगता है कुछ नहीं मै ,कभी लगता है मै कुछ हूँ

कभी मै ख़ामोशी से हार का सम्मान करता हूँ
कभी मै मदहोशी में जीत पर अभिमान करता हूँ
नहीं मै जनता क्या हूँ ,कैसे हूँ ,कहाँ ,कुछ हूँ
कभी लगता है कुछ नहीं मै ,कभी लगता है मै कुछ हूँ
                                           प्रणय

2 responses to “मैं कुछ हूँ !”

  1. nice composition…deep and intense…many of us some or the other time comes across such situation… :)
    Cyno…

Leave a comment